इधर से उधर उड़ती, यहां से वहां घूमती,
कभी हंसती , कभी रूठती,
कभी बैठ जाती और सोचती,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
रंगबिरंगी, बहुत बातूनी,
हमारी दुनिया में रंग भर्ती,
दुनिया रंगीन बनाती,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
खुशियों की लहर जैसी,
खिलखिलाती और टिमटिमाती,
न रूकती , न थमती,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
छूने आसमान चली, दूर तक जाती,
जिस घर में आती, वहां खुशियां बिखेरती,
सबसे प्यार करती और छु जाती,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
खिलती हुई कलियाँ है बेटियां,
घर की रौशनी है यह बेटियां,
घर को महकती है यह बेटियां,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
क्यों नहीं रूकती कभी एक जगह पे,
उड़ जाती हैं फुर से, कभी खिकडिओं पे, कभी बगीचे में,
बहुत याद आती हैं बेटियां,
तितलियों जैसी यह बेटियां.
This post is for Daughters as its first day of Navratri- celebrating girls as form of Maa durga!
This post is for Day 1 of UBC and Daily Chatter
October 1, 2016 at 7:24 pm
Yes daughters are like beautiful butterflies. They spread happiness and colour in out lives.
Heartwarming poem?
October 1, 2016 at 8:37 pm
Thanks Amrita ..yup they spread happiness 🙂
October 3, 2016 at 8:27 pm
lovely poem,,,
October 3, 2016 at 8:59 pm
Thanks Mahek ..glad you liked it 🙂
October 18, 2016 at 3:52 pm
Lovely tribute to all beautiful daughters. Amazing!
I was MIA these days. But now I’m back from my vacation and I intend to read all the posts.
October 18, 2016 at 10:22 pm
Welcome back ..and thanks for stopping by 🙂